‘स्वतंत्र वीर सावरकर’ का टीजर रिलीज: फैंस को भाया डायलॉग- गांधी अहिंसावादी सोच पर अड़े नहीं रहते तो 35 साल पहले होते आजाद

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‘स्वतंत्र वीर सावरकर’ का टीजर रिलीज: फैंस को भाया डायलॉग- गांधी अहिंसावादी सोच पर अड़े नहीं रहते तो 35 साल पहले होते आजाद


4 घंटे पहले

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रणदीप हुड्डा की अगली फिल्म ‘स्वतंत्र वीर सावरकर’ का टीजर रिलीज हो चुका है। रणदीप इस फिल्म में लीड रोल प्ले कर रहे हैं और वे इसके जरिए बतौर डायरेक्टर भी डेब्यू करेंगे। फिल्म में अंकिता लाेखंडे और अमित सियाल भी अहम किरदारों में नजर आएंगे। इस टीजर को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए रणदीप ने लिखा, ‘ब्रिटिश सरकार के मोस्ट वॉन्टेड भारतीय। वो जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह और खुदीराम बोस जैसे क्रांतिकारियों की प्रेरणा थे। कौन थे वीर सावरकर? देखिए उनकी सच्ची कहानी।’

टीजर के कुछ सीन में रणदीप को पहचानना मुश्किल है।

टीजर के कुछ सीन में रणदीप को पहचानना मुश्किल है।

सावरकर के किरदार के लिए किया वेट लॉस

वीर सावरकर की 140वीं बर्थ एनिवर्सरी पर रिलीज किए गए इस टीजर में रणदीप, वीर सावरकर के किरदार में कमाल लग रहे हैं। जहां एक तरफ वे अंग्रेजों द्वारा प्रताड़ित किए जा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ दमदार डायलॉग्स भी बोलते नजर आ रहे हैं। कुछ दृश्यों में तो रणदीप इतने दुबले दिख रहे हैं कि पहचान में ही नहीं आ रहे। इससे पहले उन्होंने फिल्म ‘सरबजीत’ के लिए भी अपना वेट लॉस किया था।

यह टीजर वीर सावरकर की 140वीं बर्थ एनिवर्सरी पर रिलीज किया गया है।

यह टीजर वीर सावरकर की 140वीं बर्थ एनिवर्सरी पर रिलीज किया गया है।

नीना गुप्ता समेत कई कलाकारों ने की तारीफ

सोशल मीडिया पर इस टीजर को फैंस का अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। सभी रणदीप की एक्टिंग की तारीफ कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, ‘टीजर देखकर गूजबंप्स आ गए। रणदीप सर आपकी एक्टिंग देखकर तो मजा आ जाता है।’ वहीं एक अन्य यूजर ने कमेंट किया, ‘मैच्योरिटी तब आती है जब आपको महसूस होता है कि असली मिस्टर परफेक्शनिस्ट रणदीप हुड्डा हैं।’ इसके अलावा नीना गुप्ता और राजेश खट्‌टर जैसे कलाकारों ने भी रणदीप की तारीफ की है।

रणदीप की यह फिल्म इसी साल रिलीज होगी।

रणदीप की यह फिल्म इसी साल रिलीज होगी।

टीजर के कुछ दमदार डायलॉग्स

– आजादी की लड़ाई 90 साल चली, पर यह लड़ाई सिर्फ कुछ ही लोगों ने लड़ी थी। बाकी सब तो सत्ता के भूखे थे।

– महात्मा गांधी बुरे नहीं थे लेकिन अगर वो अपनी अहिंसावादी सोच पर अड़े नहीं रखते तो भारत 35 साल पहले ही आजाद हो जाता।

– मूल्यवान तो सोने की लंका भी थी, लेकिन बात अगर किसी की स्वतंत्रता की हो तो रावण राज हो या ब्रिटिश राज, दहन तो होके रहेगा।



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