5 हस्तियां जिन्होंने भारत की तस्वीर बदली: स्टैटिस्टिक्स से सैटेलाइट तक देश को ताकत देने वालों की कहानी

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5 हस्तियां जिन्होंने भारत की तस्वीर बदली: स्टैटिस्टिक्स से सैटेलाइट तक देश को ताकत देने वालों की कहानी


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9 घंटे पहले

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‘विज्ञान के बारे में अच्छी बात यह है कि यह सच है चाहे आप इसमें विश्वास करें या न करें।’
– नील डेग्रस टायसन

स्वतंत्र भारत देश को आधुनिक और प्रगतिशील बनाने में जिन बड़े सपूतों ने योगदान दिया, उनमें से 5 की कहानी आपने पिछले रविवार (9 अप्रैल) के आर्टिकल में पढ़ी।

आज, उस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए हम 5 और प्रेरणास्पद महापुरुषों के बारे में जानेंगे।

संडे मोटिवेशनल करिअर फंडा में आपका स्वागत है!

भारत कई महान पुरुषों और महिलाओं का घर रहा है जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में राष्ट्र की वृद्धि और विकास में योगदान दिया है। हम भारत के 5 और महानायकों के बारे में बात करेंगे जिन्होंने अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है और कई लोगों को प्रेरित किया है।

आधुनिक भारत के 5 महानायक

1) पीसी महालनोबिस – भारतीय सांख्यिकी प्रतिष्ठान के जनक

एक नए-नए आजाद हुए देश में, सरकारी नीतियां बनाने के लिए दूरदर्शिता तो चाहिए ही, साथ ही चाहिए ‘सही आंकड़ों का पूरा सिस्टम’, जो नीतियों को ठोस धरातल प्रदान करे। ये 1950 के भारत के लिए बेहद कठिन होता, अगर महालनोबिस नहीं होते।

महालनोबिस भारत में सांख्यिकी के क्षेत्र में अग्रणी थे और उन्होंने 1931 में भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके नेतृत्व में, ISI दुनिया में सांख्यिकीय अनुसंधान के लिए प्रमुख संस्थानों में से एक बन गया।

ये तस्वीर 15 दिसंबर, 1953 की है जिसमें पीसी महालनोबिस तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. जवाहर लाल नेहरू के साथ दिख रहे हैं।

महालनोबिस ने सांख्यिकीय सर्वेक्षणों के लिए ‘नमूनाकरण तकनीक’ की अवधारणा विकसित की, जिसका व्यापक रूप से सामाजिक विज्ञान, अर्थशास्त्र और विपणन अनुसंधान में उपयोग किया जाता है। उन्होंने ‘महालनोबिस दूरी’ की अवधारणा भी विकसित की, जिसका उपयोग बहुभिन्नरूपी विश्लेषण में किया जाता है।

आजादी के बाद भारत की योजना प्रक्रिया में महालनोबिस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने ‘महालनोबिस मॉडल’ विकसित किया, जिसका उपयोग भारत की दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956-61) में किया गया था। मॉडल का उद्देश्य भारी उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करके अर्थव्यवस्था के संतुलित विकास को प्राप्त करना और क्षेत्रीय असमानताओं को कम करना था।

महालनोबिस भारत में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) की स्थापना में भी शामिल थे। एनएसएस दुनिया के सबसे बड़े सर्वेक्षणों में से एक है, जिसमें भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया जाता रहा है।

महालनोबिस 1947 से 1949 तक अंतरराष्ट्रीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) के अध्यक्ष थे, और वह लंदन की रॉयल सोसाइटी के फेलो भी थे।

1968 में महालनोबिस को भारत में सांख्यिकी और नियोजन में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले, जिसमें भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण भी शामिल है। वे ‘फादर ऑफ इंडियन स्टेटिस्टिक्स’ कहलाते हैं।

कुल मिलाकर, महालनोबिस ने भारत में सांख्यिकी और योजना के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनके योगदान का देश की अर्थव्यवस्था और समाज पर स्थायी प्रभाव पड़ा है।

2) सी सुब्रमण्यम – ग्रीन रिवोलुशन के प्रणेता

सुब्रमण्यम भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति थे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सक्रिय रूप से शामिल थे। 1946 में वे मद्रास विधानसभा के लिए चुने गए।

सी. सुब्रमण्यम को सिर्फ एक राजनेता ही नहीं, बल्कि एक कुशल एडमिनिस्ट्रेटर और विजनरी के तौर पर जाना जाता था।

सी. सुब्रमण्यम को सिर्फ एक राजनेता ही नहीं, बल्कि एक कुशल एडमिनिस्ट्रेटर और विजनरी के तौर पर जाना जाता था।

उनका महती योगदान आया 1960 के दशक में, जब सुब्रमण्यम भारत की हरित क्रांति के एक प्रमुख वास्तुकार बने, जिसने भारत को एक खाद्य-अभाव वाले राष्ट्र से एक आत्मनिर्भर राष्ट्र में बदल दिया। उन्होंने 1964 से 1966 तक खाद्य और कृषि मंत्री के रूप में कार्य किया और उच्च उपज वाली फसल किस्मों, आधुनिक कृषि पद्धतियों और सिंचाई सुविधाओं की शुरुआत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सुब्रमण्यम भारत के विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रबल पक्षधर थे। उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और राष्ट्रीय पोषण संस्थान सहित कई राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थानों की स्थापना की।

वे भारत में सहकारी आंदोलन के चैंपियन थे और उन्होंने 1963 में राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) की स्थापना की। NCDC कृषि, डेयरी और मत्स्य पालन सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहकारी समितियों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

2010 में केंद्र सरकार ने सी. सुब्रमण्यम के सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया था।

2010 में केंद्र सरकार ने सी. सुब्रमण्यम के सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया था।

सुब्रमण्यम ने 1961 में अहमदाबाद में भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। IIM भारत में प्रबंधन शिक्षा के लिए प्रमुख संस्थान हैं और इसने कई बिजनेस लीडर्स तैयार किए हैं।

उन्हें 1998 में भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

कुल मिलाकर, भारत के कृषि, विज्ञान और सहकारी क्षेत्रों में सुब्रमण्यम के योगदान का देश के विकास पर गहरा प्रभाव पड़ा है और उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।

3) डॉ. सीएनआर राव – केमिस्ट और भारत रत्न

डॉ. सी.एन.आर. राव एक विश्व प्रसिद्ध रसायनज्ञ (Solid state and structural chemistry) हैं जिन्होंने ठोस-अवस्था और पदार्थ रसायन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने 1600 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं और भारत और दुनिया भर में वैज्ञानिकों की कई पीढ़ियों का मार्गदर्शन किया है।

डॉ. राव भारत में वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए कई संस्थानों की स्थापना में सहायक रहे हैं, जिनमें जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (JNCASR) और इंटरनेशनल सेंटर फॉर मैटेरियल्स साइंस (ICMS) शामिल हैं।

डॉ. राव ने भारत में नैनोसाइंस और नैनोटेक्नोलॉजी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने नैनोसाइंस के लिए कई अनुसंधान केंद्र स्थापित किए हैं और ऊर्जा भंडारण, कटैलिसीस और दवा वितरण सहित विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए नैनो सामग्री के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

डॉ. राव को कई प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें डैन डेविड पुरस्कार, ह्यूजेस मेडल और रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री के वॉन हिप्पल पुरस्कार शामिल हैं। उन्हें 2014 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था।

डॉ. राव को कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं। इस तस्वीर में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम उन्हें सम्मानित कर रहे हैं।

डॉ. राव को कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं। इस तस्वीर में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम उन्हें सम्मानित कर रहे हैं।

डॉ. राव भारत में विज्ञान शिक्षा के प्रबल हिमायती भी रहे हैं और उन्होंने देश भर में कई स्थानों पर भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (IISER) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

कुल मिलाकर सॉलिड-स्टेट और मैटीरियल केमिस्ट्री के क्षेत्र में डॉ. सीएनआर राव के योगदान, कई शोध संस्थानों की स्थापना, और भारत में विज्ञान शिक्षा के लिए उनकी वकालत का देश के वैज्ञानिक समुदाय और इसके विकास पर स्थायी प्रभाव पड़ा है।

4) डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम – मिसाइलमैन वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति

डॉ कलाम एक प्रसिद्ध एयरोस्पेस इंजीनियर थे और उन्होंने भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल प्रौद्योगिकी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके योगदान के लिए उन्हें ‘भारत के मिसाइल मैन’ के रूप में जाना जाता था।

डॉ कलाम ने 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया और भारत के विकास के लिए उनकी विनम्रता, नेतृत्व और दृष्टि के लिए व्यापक रूप से सम्मान किया गया।

ये तस्वीर 8 जून, 2006 की है जब राष्ट्रपति पद पर रहते हुए डॉ. कलाम वायुसेना के सुखोई फाइटर जेट में को-पायलट बने थे। डॉ. कलाम वैज्ञानिक बनने से पहले फाइटर पायलट ही बनना चाहते थे।

ये तस्वीर 8 जून, 2006 की है जब राष्ट्रपति पद पर रहते हुए डॉ. कलाम वायुसेना के सुखोई फाइटर जेट में को-पायलट बने थे। डॉ. कलाम वैज्ञानिक बनने से पहले फाइटर पायलट ही बनना चाहते थे।

वे भारत में विज्ञान शिक्षा के प्रबल पक्षधर थे और उन्होंने युवाओं के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रमों की स्थापना की। वह विशेष रूप से विज्ञान और इंजीनियरिंग में करियर बनाने के लिए ग्रामीण युवाओं को प्रेरित और सशक्त बनाने पर केंद्रित थे।

वे एक लेखक भी थे और उन्होंने विज्ञान, शिक्षा और आध्यात्मिकता पर कई पुस्तकें लिखीं। उनकी आत्मकथा, ‘विंग्स ऑफ फायर’ ने दुनिया भर के लाखों लोगों को प्रेरित किया है।

वे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों और सम्मानों के प्राप्तकर्ता थे, जिनमें भारत रत्न, भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म भूषण और पद्म विभूषण शामिल हैं।

डॉ. कलाम राष्ट्रीय विकास के प्रबल पक्षधर थे और उनका मानना था कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रगति के प्रमुख चालक हैं। उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन सहित कई प्रमुख पहलों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

कुल मिलाकर, विज्ञान, शिक्षा और राष्ट्रीय विकास में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के योगदान का भारत पर गहरा प्रभाव पड़ा है।

5) डॉ. अशोक झुनझुनवाला – इलेक्ट्रिकल इंजीनियर और आईआईटी मद्रास में प्रोफेसर

डॉ. झुनझुनवाला एक प्रसिद्ध इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं और उन्होंने दूरसंचार और नेटवर्किंग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने 150 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं और उनके नाम पर कई पेटेंट हैं।

डॉ. अशोक झुनझुनवाला आईआईटी मद्रास में बतौर फैकल्टी काम करने के साथ ही कई सरकारी विभागों से बतौर कंसल्टेंट भी जुड़े हैं।

डॉ. अशोक झुनझुनवाला आईआईटी मद्रास में बतौर फैकल्टी काम करने के साथ ही कई सरकारी विभागों से बतौर कंसल्टेंट भी जुड़े हैं।

वे भारत में कई प्रमुख तकनीकों के विकास में सहायक रहे हैं, जिनमें कम लागत वाली आकाश टैबलेट और भारतनेट परियोजना शामिल है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण भारत को हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड से जोड़ना है।

डॉ. झुनझुनवाला ने भारत में विशेष रूप से दूरसंचार और ऊर्जा के क्षेत्रों में कई स्टार्टअप कंपनियों के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कई उद्यमियों को दिशा दिखाई है और भारत में नवाचार और उद्यमिता के प्रबल समर्थक रहे हैं।

डॉ झुनझुनवाला को कई प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें भारत के दो सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री और पद्म भूषण शामिल हैं।

वे 1981 से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास में एक संकाय सदस्य हैं और उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग छात्रों की कई पीढ़ियों का मार्गदर्शन किया है। उन्होंने IIT मद्रास में कई अनुसंधान केंद्रों और संस्थानों के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डॉ झुनझुनवाला सतत विकास के प्रबल पक्षधर रहे हैं और भारत में नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए कई पहलों में शामिल रहे हैं।

कुल मिलाकर, दूरसंचार और नेटवर्किंग के क्षेत्र में डॉ. अशोक झुनझुनवाला के योगदान, भारत में प्रमुख तकनीकों और स्टार्टअप के उनके विकास, और नवाचार और सतत विकास के लिए उनकी वकालत का भारत के वैज्ञानिक और उद्यमी समुदायों पर स्थायी प्रभाव पड़ा है।

आज का मोटिवेशनल फंडा यह है कि महालनोबिस, सुब्रमण्यम, सीएनआर राव, डॉ. कलाम और डॉ. अशोक झुनझुनवाला जैसे महान सपूतों का जीवन हमारे लिए एक बहुत बड़ा सन्देश है कि हर व्यक्ति देश के लिए तकनीकी योगदान दे सकता है, और लाखों जिंदगियां बदल सकता है।

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