Xiaomi पर भारत में सख्ती के बीच कंपनी के चीफ बिजनेस हेड Raghu Reddy का इस्तीफा

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Xiaomi पर भारत में सख्ती के बीच कंपनी के चीफ बिजनेस हेड Raghu Reddy का इस्तीफा


बड़ी स्मार्टफोन कंपनियों में शामिल Xiaomi के टॉप एग्जिक्यूटिव्स में से एक ने इस्तीफा दे दिया है। कंपनी को भारत में कड़ी रेगुलेटरी स्क्रूटनी और कॉम्पिटिशन के प्रेशर का सामना करना पड़ रहा है। चीन की एक अन्य स्मार्टफोन कंपनी Vivo के लगभग 27,000 स्मार्टफोन्स के भारत से एक्सपोर्ट को भी अथॉरिटीज ने रोका है।  

Xiaomi की भारत में स्मार्टफोन और स्मार्ट टेलीविजन के मार्केट्स में हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद करने वाले कंपनी की भारतीय यूनिट के चीफ बिजनेस ऑफिसर, Raghu Reddy ने इस्तीफा दिया है। कंपनी ने कहा, “भारत में हमारी लीडरशिप टीम में रघु एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे।” इस बारे में जानकारी के लिए रेड्डी को भेजे गए मैसेज का उत्तर नहीं मिला है। शाओमी की ऑनलाइन सेल्स डिविजन के चीफ रह चुके रेड्डी ने कंपनी को ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर सफल बनाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। इससे पहले वह जापान के सॉफ्टबैंक के इनवेस्टमेंट वाली ई-कॉमर्स कंपनी Snapdeal के साथ भी काम कर चुके हैं। शाओमी में वह अभी नोटिस पीरियड पर हैं। 

कंपनी का पिछली तिमाही में रेवेन्यू लगभग 10 प्रतिशत घटा था। कंपनी की बिक्री पर ग्लोबल स्मार्टफोन मार्केट की मंदी और चीन में डिमांड घटने का असर पड़ा है। इसके मोबाइल डिवाइसेज की बिक्री में लगभग 11 प्रतिशत की कमी हुई है। जुलाई-सितंबर के दौरान कंपनी की सेल्स 70.5 अरब युआन (लगभग 80,900 करोड़ रुपये) की रही। 

हालांकि, कंपनी की सेल्स अनुमान से कुछ अधिक रही है लेकिन कंपनी को हुआ लगभग 1.5 अरब युआन का नेट लॉस हैरान करने वाला है। शाओमी ने इनवेस्टमेंट पर लॉस जैसी मदों में लगभग 3 अरब युआन को राइटडाउन किया है और इस वजह से इसके नतीजों में नेट लॉस दिख रहा है। चीन में जीरो कोविड पॉलिसी के कारण टेक कंपनियों की मुश्किलें बढ़ी हैं। इससे सप्लाई चेन में रुकावट आई है। इसके अलावा इन्फ्लेशन बढ़ने और इकोनॉमिक ग्रोथ कम होने से इलेक्ट्रॉनिक्स की डिमांड घट रही है। शाओमी ने यूरोप में मार्केट शेयर बढ़ाने में सफलता पाई है। भारत में कंपनी की यूनिट पर अपने बैंकर Deutsche Bank को वर्षों तक गलत जानकारी देने का आरोप लगा है। कंपनी ने दावा किया था कि उसका रॉयल्टी की पेमेंट के लिए एग्रीमेंट है, जबकि ऐसा कुछ नहीं था। कंपनी के खिलाफ जांच में पाया गया है कि उसने रॉयल्टी की ‘मद’ में अमेरिकी चिप कंपनी Qualcomm और अन्यों को ‘गैर कानूनी’ तरीके से रकम भेजी थी। 

 

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